घमण्डक बीज लगाक' नफरत उब्जा रहल छी
एक-दोसराके गरदनी काटिक' खुन सँ नहा रहल छी
नहि किछु ल'क' एलौ, नहि किछु ल'जेबाक अछि
माटिएके बनल शरीर फेर माटिए भ'जेबाक अछि
सबहक एक मानव जाती, जाइत-पाइतके कात करु
अहंकारके आगिमे जराक, प्रेमसँ जिनगी सुरुवात करु
कियो छोट नहि कियो बढ्का, सबकियोके सम्मान करु
मनुख योनिमे जनमल छी, एहि बातपर गुमान करु
चारी दिनक इ जिनगी छै, हंसी खुशी सँ काइट लिय
नइ ककरो दिल दुखाउ, दर्द सबहक बाँइट लिय
घमण्डक बीज लगाक' नफरत उब्जा रहल छी
एक-दोसराके गरदनी काटिक' खुन सँ नहा रहल छी
एक-दोसराके गरदनी काटिक' खुन सँ नहा रहल छी
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