Binit Thakur
केहन सपना हम मीता देखलौँ भोर में ।
माय मिथिला जगाबथि भरल नोर में ।।
कहथि रने वने घुमी अपन अधिकार लेल ।छैं तूँ सुतल छुब्ध छी तोहर बिचार लेल ।।
कनिको बातपर हमरा तूं करै विचार ।
की सुतलासँ ककरो भेटलै अछि अधिकार ।।
जोरि एक एक हाथ बनवै जो लाखों हाथ ।
कर हिम्मत तूं पुत्र छियौ हम तोहर साथ ।।
अछि तोरापर बाँकी हमर दूधक कर्ज ।
करै एहिबेर तूं पुरा सबटा अपन फर्ज ।।
लौटादे हमर आब अपन स्वाभिमान ।
पुत्र कहेबे तूं महान हेतौ कर्म महान ।।
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