मैथिली गजल: हृदयके घाह चोखाइत अछि आब
मोन रसे रस दुखाइत अछि आब
हृदयके घाह चोखाइत अछि आब
चान सुरु हम कि करू, अहीँ लिअ
भगजोगनीसँ जँ देखाइत अछि आब
मुसिबत पड़ैत छै,छाहो सङ्ग छोड़ैत छै
अपन लोक अपने चिन्हाइत अछि आब
इनार भरिमे दुनिया सिमित नइँ अछि
असली दूनिया त सुझाइत अछि आब
वएह लोक टा असली लोक कहाइ छै,
जकरा आनके दुःख बूझाइत अछि आब
@गजेन्द्र गजुर
[Gajendra Gajur]
मैथिली गजल: निशानी देखबै कि अहाँ, मोनसँ थुरा गेल छी हम
सधाइत सधाइत सब किछसँ सधा गेल छी हम
निशानी देखबै कि अहाँ, मोनसँ थुरा गेल छी हम
अन्हार तँ रहै जीवन हमर, दीया बारलियै अहाँ
आगिसँ परहेज रहै, बतिहरसँ दगा गेल छी हम
प्रीतमे डुब्की लगाब, सेहो सिखौलियै अहीँ
अहाँक रहैत पर , केना नोरसँ नहा गेल छी हम
हँ खोजलियै कत कत न , अपनाकेँ अहाँमे
अपनाकेँ देख आइ , अपनेसँ डरा गेल छी हम
स्वभिमानी गीत खुनसँ लिखबै, इतिहासमे
की मारब अहाँ, कएबेर तँ मरा गेल छी हम
@गजेन्द्र गजुर
[Gajendra Gajur]
मैथिली गजल: घायल गत्तर भेलै ओकर यादमे
हृदय पत्थर भेलै ओकर यादमे
घायल गत्तर भेलै ओकर यादमे
एक भोला आ सोझ-साझ रही
आइ थेत्थर भेलै ओकर यादमे
अपन फूलबारिके हाल कि कहू
खाली पतझर भेलै ओकर यादमे
ओकर शितल छाहके चक्करमे
जिन्गी दुपहर भेलै ओकर यादमे
हृदयक रोग कोना कम हेतै आब
दिने दिन नम्हर भेलै ओकर यादमे
@गजेन्द्र गजुर
गज़लकार : गजेन्द्र गजुर [Gajendra Gajur] मैथिली साहित्यमे युवा लेखक छथि। गज़ल, कविता तथा मैथिलीकेँ डिजिटल प्लेटफार्म आ जमिनी स्तरमे सशक्त बनेबाक काममे अग्रसर छथि। आइ लभ मिथिला, कोट्स इन मैथिली, म्यूजिक मैथिलीमे संग्लन छथि।
0 Comments